श्रीमती कमलाबेन रावजी भाई पटेल गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज द्वारा वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन

इंदौर। श्री गुजराती समाज द्वारा संचालित श्रीमती कमलाबेन रावजी भाई पटेल गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज इंदौर द्वारा वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन स्कीम नंबर 78 स्थित साभगृह में किया गया। प्रमुख वक्ता शासकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज भोपाल के प्रोफ़ेसर मटेरिया मेडिका डॉ. शोभना शुक्ला एवं प्रैक्टिस ऑफ़ मेडिसिन के प्रोफ़ेसर डॉ. प्रवीण जैसवाल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. एस पी सिंह ने की।

वैज्ञानिक संगोष्ठी के सभापति के रूप में महाविद्यालय में शरीर क्रिया विज्ञान फिजियोलॉजी विभाग के प्रोफ़ेसर  डॉ. एके द्विवेदी को नामित किया गया था। समसामयिक विषय कंजक्टिवाइटिस पर होम्योपैथिक चिकित्सा के उपयोग विषय पर बोलते हुए डॉ. शोभना शुक्ला ने कहा कि इस बीमारी का प्रोग्नोसिस काफी अच्छा है। लोगों को घबराने के आवश्यकता नहीं है क्योंकि 3-4 दिन में बीमारी पूरी तरह से ठीक हो रही है।  आपने बताया कि होम्योपैथिक दवा इस पर काफी कारगर है लक्षणों के आधार पर बेलाडोना, पल्सेटिला, एपिस मेल या अर्जेन्टम नाइट्रिकम अथवा  इयूफ़्रेसिया किसी भी  होम्योपैथिक चिकित्सकों के सलाह से ली जा सकती है।

डॉ. प्रवीण जायसवाल ने होम्योपैथिक चिकित्सा छात्रों को मरीजों पर किए जाने वाले सिस्टेमिक एग्जामिनेशन और इन्वेस्टीगेशन के महत्व को होम्योपैथिक केस टेकिंग में शामिल करने की बात कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. एस पी सिंह ने कहा कि कहा कि वर्तमान समय होम्योपैथिक चिकित्सा के दौर के रूप में देखा जा रहा है। हमलोग समसामयिक बीमारियों और वायरल बीमारियों पर लोगों को बेहतर परिणाम दे रहें है।

बतौर वैज्ञानिक संगोष्ठी सभापति डॉ. एके द्विवेदी ने दोनों वक्ताओं के उद्बोधन पर अपनी बात कहते हुए बताया कि होम्योपैथी चिकित्सा में क्लीनिकल मटेरिया मेडिका पढ़ाने की आवश्यकता है। क्योंकि जब कोई भी चिकित्सा छात्र अपने अध्ययन काल में मरीजों को दी जाने वाली दवा के चिकित्सकीय परिणाम को देखता एवं समझता है तो उसे उस तरह के केस जीवन पर्यन्त याद रहते हैं। संगोष्ठी में अतिथि स्वागत डॉ.  मुकेश अग्रवाल ने किया। महाविद्यालय चिकित्सा शिक्षकों के साथ लगभग 350 होम्योपैथिक चिकित्सा छात्र-छात्राओं ने वैज्ञानिक संगोष्ठी में सहभागिता की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनोज बागुल ने किया। आभार डॉ. राजेश बोर्डिया ने माना।

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