मोटापा एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें वसा (चर्बी) ज्यादा मात्रा में एकत्रित हो जाती है, जिसका विपरीत प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है जो हमारी जीने की लालसा को कम कर देती है और स्वास्थ्य की समस्याओं को बढ़ा देता है। वर्तमान में विकासशील देशों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसके कई कारण है जिसमें लगातार ऑफिस में बैठकर काम करना, प्रोसेसड् फुड, शारीरिक व्यायाम ना करना आदि शामिल है। ऐसे में आज व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जिम्मेदार होते हुए मोटापा को रोकने में कदम बढ़ाने होंगे।

मेडिकल क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति का मोटापे का पता उसके बीएमआई (बॉडी मास इन्डेक्स) से नापा जा सकता है, व्यक्ति के शरीर के वजन को उस व्यक्ति की ऊंचाई स्केवयर से विभाजित कर पता किया जा सकता है।

ग्रेड-1- ओवरवेट जिसे सामान्यतः ओवर वेट कहते हैं। (बीएमआ- 25.29.9 किलो/एम2)

ग्रेड-2- जिसे सामान्यतः मोटापा कहते हैं। (बीएमआ- 30.39.9 किलो/एम2)

ग्रेड-3- जिसे सामान्यतः कष्टदायक या रोगयुक्त मोटापा कहते हैं। (बीएमआ- 40किलो/एम2)

जानकारी अनुसार मोटापा 21वीं सदी में एपिडेमिक प्रपोशनल में पहुंच जाएगा, जिसमें 5 प्रतिशत जनसंख्या को रोग युक्त मोटपा प्रभावित कर सकता है।

वहीं भारतीय की बात करे तो उनमें सामान्यतः कमर के आस-पास ही चर्बी का जमाव होता है। मोटापे से बहुत सी बीमारियां का जन्म होता है जैसे हृदयरोग टाइप-2 मधुमेह, नींद न आना, कैंसर और आस्टियों अर्थराइटिस आदि।

होम्योपैथी चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के निवर्तमान सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार मोटापा होने के मुख्य कारण है ज्यादा मात्रा में भोजन लेना, शारीरिक क्रिया कलाप कम होना और जेनेटिकली (आनुवांशिक ग्रहणशीलता कुछ केसेस जिससे जीन्स, इण्डोक्राईन-डिसआर्डर, मनोरोग और लंबे समय तक दवाइयां लेते रहना भी मोटापे का कारण बन सकते हैं।

उपापचय क्रिया के कम होने से कुठ मोटापे से ग्रसित व्यक्तियों से खाना तो कम खाया जाता है लेकिन फिर भी वजन बढ़ता रहता है ऐसे मरीजों को कुछ जांचे करवाना चाहिए जैसे….

  • लिपीड प्रोपाइडल
  • लीवर फंक्शन टेस्ट
  • थाइराइड फंक्शन टेस्ट
  • फास्टिंग ग्लूकोज और हीमोग्लोबीन

शरीर की वसा (चर्बी) का मूल्यांकन- बॉडी इन्डेक्स, कमर की गोलाई, कमर और हिप्स का अनुपात में सब कितनी डिग्री का मोटापा उसका मूल्यांकन करने में काम आता है।

मेनेजमेंट (प्रबंधन)- मोटापे की चिकित्सा शुरू होती है सबसे पहले लाइफ स्टाइल मेनेजमेंट से जैसे खानपान, शारीरिक व्यायाम, व्यवहार में बदलाव आदि।

ये तीन मुख्य चरण है सफलतापूर्व वजन कम करने के प्रोग्राम में

1. जीवन शैली में बदलाव व खान-पानः कम से कम कार्बोहाइड्रेट और कम वसायुक्त भोजन का प्रयोग, फल, सब्जियां और अंकुरित अनाज का प्रयोग अधिक करें।

2. शारीरिक व्यायाम- पूरे दिन अपने आपको क्रियाशील रखे। कुछ व्यायाम जैसे चलना, दौड़ना, तैरना आदि 30-45 मिनट रोज करना चाहिए।

3. दवाइयों का प्रयोग – ज्यादातर मोटापे को मेनेज करने में तीन मुख्य ग्रुप की दवाइयां है, जिन्हें मरीज की स्थित अनुसार प्रयोग किया जा सकता है।

दवाइयां वजन कम करने में उपयोगी हो सकती है, दवाइयों के अच्छे परिणाम के लिए दवाओं के साथ-साथ संतुलित आहार एवं व्यायाम की भी अत्याधिक जरूरत होती है।

सर्जरी – विभिन्न प्रकार की बेरियाट्रिक सर्जरी है जो खाने की क्षमता को कम कर सकती है, भोजन के अवशोषण को कम कर भोजन की संतुष्टि को बढ़ा सकती है। सर्जरी की सलाह उन्हीं व्यक्तियों को दी जाती है जिन्हें मोटापे के कारण कोई गंभीर चिकित्सीय स्थिति हो या फिर चिकित्सीय प्रबंधन और जीवनशैली में बदलाव के बावजूद भी मोटापा कम नहीं हो रहा है।

By Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *