वेब डेस्क । आज के भागदौड़ भरे जीवन और तनाव पूर्ण काम के माहौल में व्यक्ति बहुत जल्द ही मानसिक विकारों से घिर जाता है। क्यों मानव मन समुद्र में उठने वाली लहरों के समान है। जैसे समुद्र में लहरे उठती रहती है वैसे ही मानव मन में भी तरह-तरह के विचार समय-समय पर आते-जाते हैं। और जब तरह-तरह के विचार मन में आने-जाने लगे तो हमारे में मन में विकार पैदा करते हैं जिसे हम मानसिक विकार कह सकते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. वैभव चतुर्वेदी के अनुसार जय मनुष्य में ये मानोविकार बहुत अधिक बढ़ जाते हैं तो मानसिक के साथ-साथ शारीरिक रोग भी होने लगते हैं। जिसके लिए पीड़ित को एक अच्छे मनोचिकित्सक के पास जाकर अपनी परेशानी बताते हुए इलाज करवाना चाहिए। आजकल की लाइफस्टाइल में मनोविकार तेजी से लोगों में बढ़ रहा है। जिनके कारण बहुत से मानसिक व शारीरिक रोग होते हैं। यदि समय रहते इन विकारों को पहचानकर दूर कर दिया जाए तो बहुत से शारीरिक व मानिसक रोगों से व्यक्ति बच सकता है।
होम्योपैथी से दूर कर सकते हैं मन के विकारों को
मनोविकार विभिन्न प्रकार के होते हैं। इसमें गुस्सा आना, इस अवस्था में व्यक्ति सामान को फेंकता है, मारपीट करता है, चीखता है और धीर-धीरे यह उनका स्वभव बन जाता है। केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य एवं इंदौर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार कुछ लोगों को बहुत गुस्सा आता है। वे छोटी-छोटी बातों पर काफी गुस्सा करते हैं। ऐसे में कई बार यह विचार वो खुद करने लगता है कि लोग क्या कहेंगे, तब उसे बहुत अधिक गुस्सा आता है तो वह अपने गुस्से व अपमान को मन में दबा कर रखता है तो कई प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोग उत्पन्न होने लगते हैं। ऐसे विकार के लिए होम्योपैथी में कुछ दवाएं हैं जिसमें केमोमिला, नक्स वोमिका, स्टेफीसेंग्रिया, लायकोपोडियम।
- इस तरह व्यक्ति में डर लगने का भी एक विकार पैदा हो सकता है। इस विकार के दौरान व्यक्ति को अंधेर से, अकेले रहने से, ऊंचाई से, मरने से आदि का सामना करना पड़ता है। तो इससे उसमें मानसिक व शारीरिक रोग पैदा हो सकते हैं। ऐसे में होम्योपैथिक दवा में आर्जेटिकम नाइट्रीकम, एकोनाईट, स्ट्रोमोनियम, एनाकार्डियम दी जा सकती है।
- व्यक्ति में रोना भी एक प्रकार का विकार हो सकता है। इसमें खासकर महिलाएं हो सकती है जो जरा-जरा सी बात पर रो देती हैं। इसके लिए भी होम्योपैथी में नेट्रम म्यूर, पल्सेटिला, सीपिया दवा है।
- आत्महत्या करने के बारे में सोचना भी एक तरह का विकार है और आज यह लोगों में काफी हावी है। इसका कारण है कि व्यक्ति भागती-दौड़ती लाइफस्टाल में सबकुछ हासिल करना चाहता है लेकिन कई बार वो इसमें पीछड़ जाता है तो हतोसाहित हो जाता है तब आत्महत्या जैसा विचार उसके मन में आने लगता है। लेकिन औरम मेट, आर्स एल्बम जैसी कुछ होम्योपैथिक दवा देने से इस प्रकार के विचार व्यक्ति में कम हो जाते हैं।
- होम्योपथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी पोटेंसी, डोज आदि उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें।